अपनी बूढ़ी आँखों से कल, बरगद ने सब देखा है
अपनी बूढ़ी आँखों से कल, बरगद ने सब देखा है कहाँ गिरा लाजो का आँचल, बरगद ने सब देखा है तानों से तँग आकर आख़िर गाँव की मीठी पोखर ने धीरे-धीरे ओढ़ी दलदल, बरगद ने सब देखा है मौसम जिन खेतों में आकर डेरा डाला करते थे खेत बने वो कैसे जंगल, बरगद … Continue reading अपनी बूढ़ी आँखों से कल, बरगद ने सब देखा है
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed